Sunday 23 August 2015

सदाचार क तावीज (मैथिली लघु नाटिका)

पात्र: 
१. राजा (भानु प्रताप सकरवार)
२. सूचना एवं प्रसारण मंत्री (महिला)
३.वित्त मंत्री 
४. गृह मंत्री 
5. महामंत्री 
6. विशेषज्ञ (खट्टर झा)
7. शिष्य विशेषज्ञ-१
8. शिष्य विशेषज्ञ-२
9. साधू 
१०. शिष्य साधू -१
११. शिष्य साधू -२
12. कर्मचारी 

दृश्य - १
पृष्ठभूमि : (निगम देश में हल्ला मचल छल जे भ्रष्टाचार अनहद रुपे पसरि गेल अछि | ) राजा दरबार में चिंता के माहौल अछि |

राजा(भानु प्रताप सकरवार) मंत्रीगण सं : हे हमर मंत्री रत्न गण ! प्रजा बहुत हरबिर्रो मचा रहल अछि जे पूरा चौहद्दी में भ्रष्टाचार पसैर गेल अछि ! मुदा हम त आई धरि ई वस्तु के नै देखलहुँ अछि | यदि अहाँ सब के कतौ देखना में आयल होय त बतायल जाउ |

सूचना प्रसारण मंत्री : महाराज ! भ्रष्टाचार जखन हुजूरे के नजैर में  नै आयल, त हमारा लोकैन के कोना क देखयात ?

राजा(गदगद भाव सं): ईह ! एहन कोनो बात नै अछि, सूचना मंत्रीजी ! कखनो काल जे हमारा नजैर में नै आबैत हेतै ओहो त अहाँ सभ के देखना में आबैत होयत की ने | जेना मानि लिय जे हमरा त खराप सपना कखनो नै देख में आबै अछि , मुदा अहाँ सब त खरापो सपना देखैत हेबै !

वित्त मंत्री : जी देखैत छी महाराज | मुदा ओ त स्वप्न के बात अछि की ने | 

राजा : से बुझलौं, तथापि अहाँ सब सगरो राज्य में खोज पर निकलु आ पता करू जे कतौ भ्रष्टाचार त नै अछि | जौं कतौ भेट जाय त हमरा देख लेल नमूना नेने आयब | हमहुँ त देखी की आखिर ई भ्रष्टाचार होइ केहन अछि !

गृह मंत्री (चाटुकार अंदाज में) : हुजूर ओ हमरा सभ के नै देखा सके अछि | सुनबा  में आयल अछि जे ओ बड्ड महीन होइ अछि | हमरा सब के नजैर के त अहाँक विराटता देख के एतेक अभ्यास भ गेल अछि जे महीन वस्तु हमरा सब के देखाइते नै अछि |

राजा (गंभीर होइत) : तखन फेर की करल जाय ?

महामंत्री : महाराज ! अपनेक राज्य में एकटा जाति रहै अछि जिनका विशेषज्ञ कहल जाइ अछि | एहि जाति वर्ग के लग किछु एहन ऐनक होइ अछि जकरा अपन आइङ्ख पर लगा क ओ सब सूक्ष्म सं सूक्ष्म वस्तु के भी देख लैत अछि | अस्तु, सरकार सं ई निवेदन अछि जे ई विशेषज्ञ जातिए  के कोनो लोक के हुजूर ई भ्रष्टाचार के खोजय के काज सौंपैथ | 

राजा (हुक्म देइत) : बेस त ठीक अछि | विशेषज्ञ जाति के एकटा समिति गठित करल जाय आ हुनका राज दरबार में उपस्थित होय के आज्ञा देल जाय | 



दृश्य - २

द्वारपाल : महाराज के जय होय ! महाराज ! विशेषज्ञ खट्टर झा अपन समिति सदस्य सहित महाराज के दर्शन के अभिलाषी छैथ |

राजा (प्रशन्न होइत) : हुनका सभ के ससम्मान उपस्थित कैल जाय | 

(द्वारपाल चल जाइ अछि | खट्टर झा  के चेला सहित प्रवेश )

खट्टर झा (चेला सहित) : प्रणाम महाराज !

राजा : प्रणाम महोदय ! महोदय, जनता हरबिर्रो मचेने अछि जे राज्य में चौतरफा भ्रष्टाचार पसरल अछि | अस्तु हम जानै चाहै छी जे ई भ्रष्टाचार केहन होइ अछि ? की अहाँ के कतौ भ्रष्टाचार भेंटल अछि? 

खट्टर झा : जी महाराज कतेको रास भेंटल अछि |

राजा (हाथ बढबैत) : अच्छा ! त लाउ देखाबू त | देखी त केहन होइ अछि ई भ्रष्टाचार ?

खट्टर झा : सरकार, ओ हाथ के पकड़ में आब वाला नै अछि | ओ स्थूल नै अछि परंच सूक्ष्म अछि, अगोचर अछि | मुदा ओ सर्वत्र अछि | ओकरा देखल नै जा सकै अछि, बस अनुभवे टा कैल जा सकै अछि | 

राजा (सोच में पड़ैत) : मुदा महोदय ! सूक्ष्म , अगोचर आ सर्वव्यापी भेनाइ त ईश्वरक गुण अछि ! त की भ्रष्टाचार ईश्वर अछि ?

चेला १ : जी हं महाराज ! बेस कहलौँ  आब भ्रष्टाचार बुझू त ईश्वरे भ गेल अछि | 

सूचना एवं प्रसारण मंत्री : मुदा ओ अछि कत ? आ ओकर अनुभव कोना क कैल जाय ?

खट्टर झा (झौंक में) : ओ सर्वत्र अछि | एहि भवन में अछि | महाराज के सिंहासन में अछि ....

राजा (सिंहासन सं उछलैत्त ): सिंहासन में अछि .....!

चेला २ : जी हाँ महाराज, अहाँक सिंहासन में | पिछला महीना में एहि सिंहासन में रंग-रोगन करय के लेल जे बिल के भुगतान कैल गेल छल ओहि में सं आधा त अहाँक मंत्री सभ के ख़ास लोक सब खा गेल अछि |

खट्टर झा (बीचमे चेला के बिगड़ैत) : दूर बूड़ी ! तोरा बीच में बजनाइ जरुरी छौह |

(विशेषज्ञ के बात सुन के बाद राजा बड्ड चिंतित भ गेलाह  आ संगहि मंत्री सब के कान सेहो ठाढ़ भ गेल )

राजा : ई त बड्ड पैघ चिंता के गप्प अछि ! खट्टर महोदय, हम ई भ्रष्टाचार के बिलकुल जैड़ सं मेटाब चाहै छी | की अहाँ सब एकरा मेटाब के कोनो उपाय बता सकै छी जे ई कोना क मेटायत  ? 

खट्टर झा : जी हाँ महाराज | ऐ के लेल अपनेक एकटा योजना तैयार कर के होयत | भ्रष्टाचार मेटाब के लेल महाराज के व्यवस्था में  आमूलचूल परिवर्तन कर के पड़त | कोन कोन एहन कारण सब अछि जै खातिर मनुष्य भ्रष्टाचार में लिप्त रहै अछि ई सब विचार कर पड़त |

राजा : बेस, त ठीक अछि | अहाँ अपन योजना आ विचार सब के एकटा रिपोर्ट बना क अगिला तीस दिन के भीतर प्रस्तुत करू | 

खट्टर झा : जे महाराज के आज्ञा | ((चेला सहित प्रस्थान करै छथि ) 

दृश्य - ३ 

(दरबार में  दरबारी सब बैसल छैथ |)

राजा: महामंत्री जी | की भेल, आई तीस दिन पुरल जा रहल अछि मुदा एखन धरि विशेषज्ञ खट्टर झा समिति अपन रिपोर्ट नै प्रस्तुत केलाह  अछि ?

(तखने खट्टर झा के चेला समेत प्रवेश)

खट्टर झा : बंदा हाजिर अछि सरकार | ई लिय महाराज, ११०१ पृष्ठक ई रिपोर्ट |

राजा (आश्चर्य सं चकित होइत) : एत्तेक मोट रिपोर्ट !

खट्टर झा : जी महाराज | हमर समिति दिन रात्रि मेहनत आ रिसर्च क क ई रिपोर्ट तैयार केलक अछि | महाराज, समिति भ्रष्टाचार के कारण, तरीका आ निवारण के व्रिस्तृत अध्ययन आ शोध क क ई रिपोर्ट तैयार केलक अछि | भ्रष्टाचार के बहुत रास दृश्य आ अगोचर कारण सभ अछि |

राजा : जेना किछु दृष्टान्त दिय | 

खट्टर झा : जेना में की बेसिर पैरक विज्ञापन सब के बाढ़ि आबि गेल अछि जेकरा हम-अहाँ उपभोक्ता संस्कृति के नाम द देने छी मुदा एहि में भ्रष्टाचार के बीज सेहो छुपल अछि |

राजा : उपभोक्ता संस्कृत्ति ! से कोना ?

खट्टर : सरकार, उदहारण के लेल एकटा विज्ञापन लेल जाउ जाहि में देखबै अछि जे अमुक ब्राँडक कपड़ा पहिराला सं मुर्ख आ उदंड टाइप छौंड़ा के छोड़ी सब घेरने ठाढ़ अछि आ बगल में साधारण कपड़ा पहिरने एकटा सीधा-सदा युवक हीन भावना सं ग्रसित भ रहल अछि | कखनो विज्ञापन में ई नै देखना में आयल अछि जे फलाना ब्रांड के कपड़ा पहिरला सं बालक कतेक चरित्रवान बनि गेल अछि | आ की बुधन कक्षा में प्रथम आबै अछि कियेकी ओ फलाना ब्रांड के जूता पहिरै अछि | 

महाराज, एहि तरहक विज्ञापन सब साधारण परिवार के बच्चा सब में कुंठा उत्पन्न क रहल अछि आ ओकरा सभ के भ्रष्टाचार के तरफ आकर्षित कय रहल अछि | 

महाराज, एकटा सज्जन हमरा कहै छलैथ जे की हुनकर बालक गाड़ी के लेल जिद्द केने छैथ | मना केला पर की अपन ओकाइत नै अछि ओ उत्तर देलैथ जे भुटकुन के बाबू ओकरा कोना गाड़ी दिएलखिन | उत्तर में जखन सज्जन कहलखिन जे भुटकुन के बाप त घूसखोर अछि  त बालक पलैट क जवाब देलखिन जे - अहाँक ईमानदारी के फायदे की जखन अहाँ बाइको नै दिया सकै छी !

आई-काल्हि के बालक-बालिका सब के ईमानदार बाप निकम्मा लाग लागल अछि हुजूर |

राजा (गंभीर मुद्रा में) : हूँ | दोसर कारण |

खट्टर झा : एकटा अन्य कारण शिक्षा के व्यवसायीकरण अछि महाराज |

राजा : से कोना ?

खट्टर : महाराज आई काल्हि इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, लॉ आदि के पढ़ाई के लेल निजी क्षेत्र में जे संस्थान सब खुजि रहल अछि ओहि में स अधिकतर के एकमात्र ध्येय व्यावसायिक लाभ कमेनाइये रहि गेल अछि | एहि संस्थान सब में छात्र सभ सं पैघ रकम डोनेशन के नाम पर ल क प्रवेश देल जाइ अछि | आब घूस के बीया सं त बैमानी आ भ्रष्टाचारे  के फसल ने तैयार हेतै यौ सरकार ! 

राजा : हुंह | बेस कहलौँ तथापि शिक्षा के विकास के लेल त निजी शिक्षा संस्थान आवश्यक सेहो अछि |

खट्टर झा ; अरे सरकार, आशय एत शिक्षा के शुद्ध लाभक व्यवसाय बनाब से अछि | प्राथमिक सं ल क उच्च शिक्षा तक बच्चा सब के केवल लाभ कमब के ट्रेनिंग देल जा रहल अछि | शिक्षा में नैतिक सामाजिक आध्यात्मिक मूल्य के नितांत अभाव प्राथमिक स्तर सं देखना जाइ अछि आ उच्च शिक्षा में त ई विलुप्ते बुझू | 

राजा : हुंह | अन्य कारण ?

खट्टर : एकटा अन्य पैघ कारण अछि भ्रष्टाचारी सभ के सामाजिक स्वीकार्यता आ प्रतिष्ठा सरकार |

राजा (विष्मय से) : अर्थात ?

खट्टर: हुजूर अपने जे राज्य के जनता के भलाई के लेल, ख़ास क क वंचित वर्ग के लेल जे मिड डे  मिल, ए.एन.एम, आशा, आंगनवाड़ी, मनरेगा आदि सामाजिक आ आर्थिक भलाई के योजना सब शुरू केलौ अछि, एहि सब में कार्यरत भ्रष्ट कर्मी सब जे अछि  से सब एहि योजना के राशि सं बड़का कोठा, गाडी आ सम्पइत ठाढ़ क लेलक अछि ओहि सम्पइत के वजह सं हिनकर सब के समाज में इज्जत आ प्रतिष्ठा बैढ़ जाइ अछि  | ईमानदारी से पढ़ाबय बला मास्टर सब के कोनो पूछ नै अछि  मुदा जे मास्टर इस्कूलक मुंह देखने बिना दरमाहा हठबाई अछि  आ पंचायत-प्रखंड में जा क नेतागिरी आ वन टू  का  फॉर करै  छथि हुनकर बड्ड नाम भ  रहल अछि | एतबे नै सरकार कतेको कुप्रथा सब सेहो एहने लोक सब के कारण प्रतिष्ठा के विषय बनि गेल अछि | जे जतेक बेसी तिलक-दहेज़  देइत-लैत अछि  समाज में ओकर ओत्तेक बेसी मान-प्रतिष्ठा होइ अछि | स्वाइत लोक सब विवाह-दान, दहेज़-लेन-देन आदि के लेल भ्रष्ट तरीका सं बेसी सं बेसी धन कमब में प्रवित्त भेल अछि | 

ई सब  सुनैत सुनैत राजा साहब के माथ दुखाय लगलन (ओ माथ पर हाथ धरैत बीच में बात काटैत बजलाह : ठीक अछि  महोदय अहाँ अपन रिपोर्ट देने जाउ । मंत्री मंडल एकर अध्ययन क उचित कार्यवाही करता । 
(खट्टर झा रिपोर्ट सौंप क ओतय सं विदा होयत छैथ )

दृश्य ४

राजा (चिंतित मुद्रा में )

सूचना एवं प्रसारण मंत्री : चिंता के कारण अहाँक स्वास्थ्य दिनोदिन खराब भेल जा रहल अछि महाराज | ओ विशेषज्ञ सरबा सब अहाँके अनेरे झंझट में फंसा देलक |

राजा : हाँ, आइकाल्हि हमरा राति-राति धैर चिंता के मारल निन्न नै आबै अछि | की करी ना करी किछु फुरा नै रहल अछि |

वित्त मंत्री : मार बाढ़ैन ध क | एहन रिपोर्ट के त आइग लगा देब के चाही जेकरा चलते महाराज के नींद में खलल पड़ै |

राजा : लेकिन करी की ? अहों सब त रिपोर्ट के अध्ययन केलहुँ अछि | अहाँ सब के की राय-विचार अछि ? की ऐ रिपोर्ट के अमल में लाब के चाहि ? 

गृह मंत्री : ई योजना की अछि एकटा मुसीबत अछि सरकार | एकरा जों लागू करै के चेष्टा करी त सबटा व्यवस्थे में उलट फेर भ जायत | अपने सब के किछु एहन कर के आवश्यकता अछि जाहि सं व्यवस्था में बिना किछु उलट फेर केनेहे भ्रष्टाचार समाप्त भ जाय |

राजा : हमहुँ त इहे चाहै छी | मुदा से संभव कोना के होय ! हमर परबाबा के त जादूओ टोना आबै छलैन मुदा हमरा त ओहो नै आबै अछि |

(तखने महामंत्री के एकटा साधू समेत प्रवेश )

महामंत्री (हर्षित मुद्रा में) : महाराज अहाँ चिंता जुनि करू | अहाँक समस्या के समाधान हम ल क एलहुँ अछि |

राजा : से की यौ ? जल्दी बाजू | हमारा सब्र नै अछि एही मामिला में |

महामंत्री : सरकार हम अपना संगे ई महान साधक के जोहने एलहुँ अछि जे कइएक वर्ष धरि  खोज आ तपस्या के पश्चात सदाचारक तावीज बनौलैथ अछि जे मन्त्र सं सिद्ध कैल गेल अछि आ जेकरा बांधला सं मनुष्य स्वत: सदाचारी भ जाइ अछि | 

(साधू अपन झोरा  सं तावीज निकालि क राजा के दैत अछि | )


राजा: हे महात्माजी एहि तावीज के विषय में हमरा विस्तार से बुझाउ |

साधू (दार्शनिक अंदाज में ) : हे राजा, भ्रष्टाचार आ सदाचार मनुष्य के आत्मा में वास करै अछि ; विधाता मनुष्य गढ़ई काल में आत्मा में एकटा यंत्र फिट क दैत छैथ जाहि में सं ईमान अथवा बैमानी के स्वर निकलै अछि , जेकरा आत्मा के पुकार कहल जाइ अछि | 

त प्रश्न ई उठै अछि जे जिनका आत्मा सं बैमानी के स्वर उठै अछि ओकरा दबा क ईमान के स्वर कोना निकालल जाय ? एहि विषय पर कइएक वर्ष धरि शोध आ तपस्या के पश्चात हम ई तावीज बनेबा में सफल भेलौ महाराज | जै मनुष्य के बाँहि पर ई बान्हल रहत ओ सदाचारी बैन जायत | 

राजा : मुदा एकर की गारंटी ?

साधू: महाराज ई तावीज टेस्टेड अछि | हम एकर प्रयोग बिलाड़ियो पर क क देखने छी | ई तावीज बन्हला सं बिलाड़ियो रोटी नै चोरबई अछि | येह ई तावीज के खासियत अछि महाराज | 

(दरबारी सब उठी उठी क तावीजक तजबीज कर लागै छैथ )

राजा (प्रसन्न मुद्रा में हाथ जोड़ैत ) : हम अपनेक बड्ड आभारी छी महात्मन | अपने हमरा घोर संकट सं उबारलहुँ अछि | हम सर्वव्यापी भ्रष्टाचार सं बड्ड परेशान छलहुँ आ एकरा रोक में असमर्थ भेल छलहुँ| मुदा हमरा एकटा नै अपितु करोड़ो तावीज चाहि | हम राज्य के तरफ सं तावीजक कारखाना खुलबा दैत छी आ अहाँ के ओकर सी.ई.ओ बना दैत छी | की औ मंत्रीगण ई प्रस्ताव पारित होय की ने ?

वित्त मंत्री : मुदा एकर की आवश्यकता सरकार ! राज्य एतेक झमेला में किये परौ ! किएक नै एकरा लेल टेंडर निकालल जाय आ चुनिंदा एजेंसी सब के एकर ठेका द देल जाय | आ साधू महाराज सं ई फार्मूला के पेटेंट अधिकार राज्य के तरफ स अधिगृहीत क के ओहि कंपनी सब के द देल जाय | एहि सं अतिशीघ्र तावीज उत्पादन के कार्य संभव भ जायत आ राजदरबार एहि झंझट से सेहो उबरल रहत | 

राजा: ठीक अछि | साधू महाराज के उचित सत्कार कय के विदाय कैल जाय | आ हिनकर बौद्धिक सम्पदा ई तावीज  फार्मूला के जनहित में राज्य के तरफ सं अधिगृहीत कैल जाय | आ यथाशीघ्र टेंडर के कार्य पूरा क के तावीज के उत्पादन शुरू कैल जाय |

(अगिला दिनक  अखबार के खबर - "सदाचार क तावीज के खोज | जल्दीये तावीज बनाब के फैक्ट्री खुजत आ जनता के तावीज मुफ्त उपलब्ध करैल जायत तथा नागरीय सुविधा लेब लेल तावीज पहिरनाई अनिवार्य कैल जायत ")

(पटाक्षेप )

दृश्य - ५

राजा अपना आप सं : - सदाचार के तावीज त बनि गेल | आब एकदिन भेष बदैल क देखबाक चाहि जे ई ठीक ढंग सं काज करै अछि की नै |

(फेर राजा भेष बदैल क एकटा कार्यालय पहुँचैत अछि )

ओतय एकटा कर्मचारी सं राजा : नमस्कार बड़ा बाबू |

कर्मचारी : नमस्कार | कहु की सेवा कैल जाय |

राजा : हुजूर हमर एकटा टेंडर पास होबय के अछि अहाँ एत सं | 

कर्मचारी : ठीक छै, टेंडर अखन प्रक्रिया में अछि | अगिला हफ्ता परिणाम आबि जायत | जे सबसँ योग्य उम्मीदवार हेथिन हुनका नाम सं टेंडर खुजत |

राजा (5०० के नोट दैत ) : हे ई लिय हुजूर बच्चा सब के लेल मिठाई खातिर राखि लिय | नाचीज के बनवारी लाल कहल जाइ अछि बस एतेक ख्याल राखब |

कर्मचारी ( डाँटे के मुद्रा में ) : बेशर्म ! लाज नै होय छह  घुस दैत | भागै छह एतय सं की बजाबी पुलिस के |

(राजा लंक ल क पराई छैथ | )

(किछु दिन बाद एक दिन फेर राजा ओहि कर्मचारी लग जाय अछि )

राजा (फेर से ५०० के नोट पकराबैत ) : हुजूर ई बाल-बच्चा के मिठाई खातिर राइख़ लिय | बस हमर टेंडर के ध्यान राखब | 

(एहि बेर कर्मचारी नोट राइख ले अछि )

राजा (क्रोधित होइत ) : हम अहाँक राजा छी | अहाँ घूस लैत रांगल हाथ पकड़ल गेलहुँ अछि | अहाँ घूस कोना क लेलहुँ ? की अहाँ सदाचारक तावीज नै बंधने छी ? 

कर्मचारी (डरे कँपैत स्वर में ) बांधने छी महाराज | ई देख लिय (देखबै अछि ) |

(राजा आश्चर्य सं तावीज में कान लगबै अछि ) 

तावीज सं आवाज आबै अछि : "आई त ३० तारीख छै आई त ल ले नै त फेर आई कनियाँ आ बाल-बच्चा सब अपन अपन मांग ल क  बेज्जत आ गंजन करतौ | 

ई सुनैत राता के तावीज के उत्पादन में गड़बड़ी के भान भ जाइ अछि आ ओ अपन माँथ पीट ले अछि | 

(पटाक्षेप )

(ई नाटिका हरिशंकर परसाई जी क एकटा निबंध सं प्रेरित अछि )