मीरा आई पहिल बेर हवाई जहाज के यात्रा क रहल छलीह; पटना सं बैंगलोर वाया दिल्ली । पटना सं त ओ दिल्ली पहूंच गेल छलीह मुदा दिल्ली से बैंगलुरू क फ़्लाईट दू घंटा बाद छल । मीरा इंदिरा गांधी हवाई अड्डा के प्रतीक्षालय में बैसल इंतजार क रहल छलीह । दरअसल बात ई छल जे ओ अपन एकटा छात्रा आशा क विवाह में शामिल होई खातिर बैंगलुरू जा रहल छलीह । मीरा के विशेष रूप सं आशा न्योत देने छल आ हिनका लेल न्योत के संगहि हवाई-जहाजक टिकट पठौने छल । आ सब सं विशेष गप्प ई जे, जै फ़्लाईट सं मीरा दिल्ली सं बैंगलोर जाई बला छैथ ओकर पाईलट आर कियौ नै बल्कि आशा क होमय बला वर आकाश कुमार छैथ । बैसल बैसल मीरा क मोन अतीत क यात्रा करय लागलैन।
मीरा गामक मध्य विद्यालय में शिक्षिका छथिन । एकटा निक शिक्षिका, जे धिया-पुता के खुब मानै वाली । बात किछु १५ – १६ बरष पहिले के आछि । मीरा शिक्षिका के व्यवसाय के अपनौने छलिह त इ मूल-मंत्र के संगे जे "सब बच्चा भगवतीक संतान थीक आ ओकरा लाड-दुलार केनाई मनुक्खक कर्तव्य" । किन्तु हुनकर कक्षा में एकटा बचिया आबै छल जेकर नाम छल "आशा" । आन बच्चा सब त ठिक-ठाक सं रहै छल मुदा आशा नै ढंग सं स्कूलड्रेस पहिरै छल, नै ओकर किताब-बस्ता ओरियाईल रहैत छल । नै माथ मे तेल देने नै ठिक सं केस थकरने। मैल-कुचैल में लपटायल! इ सब देख मीरा के ओकरा स घीन आबै छल । आ ओ चाहितो ओकरा नै ठीक सं पढा पाबै छलिह आ नै ओकरा सं दुलार क पाबै छलिह, अपितु यदा-कदा ओकरा दुत्काइरियो दै छलखिन । मुदा मीरा के अपन इ व्यवहार पर कखनो काल आत्मग्लानियो होई छलैन । एक दिन अपन इ समस्या मीरा विद्यालयक हेड-मास्टर साहब सं साझा केलैन । "सर अहां कहै छी जे सब बच्चा भगवतीक संतान थीक आ ओकरा लाड-दुलार केनाई मनुक्खक कर्तव्य।" हम ऐ विचार के मानै छी । मुदा अही कहु जे औइ बच्ची सं हम कोना क दुलार क सकै छि जे नै ढंग से कपडा पहिरै अछि आ नै जेकरा साफ़-सफ़ाई के कोनो लिहाज अछि" । विद्यालयक हेड-मास्टर श्री शशिभुषण झा बड्ड सौम्य व्यक्तित्वक इंसान छालाह । ओ मीरा क सभटा बात सुनि क कहलैथ : "मीरा अहां ओई बचिया क समस्या देखलौं मुदा की अहां औई समस्या क कारण बुझबा क चेस्टा केलहुं? अहां इ बुझबा क प्रयत्न केने रहितौं त अहांक आई इ बातक असोकर्ज नै रहत छल जे अहां अपन कर्तव्य क पालन निक सं नै क पाबि रहल छी । ओ बच्ची एकटा दुखियारी बच्ची अछि जेकर बाबू दिहाडी मजदूर अछि आ माई कैंसर सं पीडीत! आब अहां कहू जे एहन स्थिति में ओकर ठीक सं परिचर्या के करत? आ इ सब मे ओ बच्ची के कोन दोष ? मीरा ! चिक्कन-चुनमुन आ सुन्नैर नेना सब के त सभ केयौ दुलार क लै अछि मुदा आशा सन जे इश्वरक संतान अछि ओकरा जे दुलार क पाबै अछि वैह इश्वरक सच्चा सेवक होई अछि । की! अहांक अखनो कोनो आशंका या असोकर्ज अछि? " मीरा क अपन सभटा प्रश्नक जवाब भेट गेल छल । आ ओ अपन कमीयो के चिन्ह लेलखिन । आ आब समय छल ओई कमी सं पार पाबैक । मीरा आब अपन सभटा ज्ञान आ दुलार आशा पर उझैल देलखिन । ओकर पढाई-लिखाई, कपडा-लत्ता, तेल-कूड় सबहक ध्यान ओ राखय लागलखिन । कालान्तर में आशा क माई क देहांत भ गेल छल । आ आशा सेहो मीरा क छत्रछाया में बरहैत मैट्रीक क नेने छलीह। ओ मैट्रीक क परीक्षा में सम्म्पूर्ण जिला में टा̆प केने छलीह । डीएम साहब आशा के एहि उपलब्धि लेल अपन हाथ सं सम्मनित केने छलथिन । मुदा इ त कामयाबी क पहिल सीढी छल। अखन त आगा कामयाबीक अनेको पिहानी लिखेनाई बांकिए छल ।
मैट्रीक के बाद आशा के पोस्ट मैट्रीक स्कालरशीप सेहो भेंट लागल, मुदा आब हुनक बाबूजी हुनक विवाह क सुर-सार में लागि गेलाह । ई बात कनैत-कनैत आशा मीरा के बतौने छल । मीरा ओकरा ओहि दिन बड्ड मोश्किल सं चुप्प करेने छलीह । " ऐंगे एहि लेल तो एना कनै किएक छैं । हम बुझैबैन ने तोरा बाबू के आ ओ बुझियो जेथुन। हम मस्टरनी जे बनलहुं से कथि लेल? एं हमर त काजे अछि लोक के निक-बेजाय बुझेनाइ। आ हम केह्न-केहन के त बुझा क पटरी पर आनने छी । अहां त बड्ड होशियार नेना छि आहां त आगा बड्ड परहब आ पैघ डा̆क्टर बनब।" मीरा के द्वारा सान्त्वना के लेल कहल गेल ई वाक्य सब आशा क मोन मे घर क गेल छल ।
मीरा आशा क बाबूजी के बजौली । हुनका कहल्थिन औ जी अहांक भगवत्ती क̨पा केने छैथ जे एत्तेक निक बेटी देलीह जे मैट्रीक परीक्षा में समुचा जिला में प्रथम आबि अहांक संगहि गाम-समाजक सेहो नाम केलक अछि । आ अहां एकरा पैर में विवाहक सीकडी बान्हय चाहै छी ! आशा क बाबू कहलखिन "देवीजी अहां कहै त ठीके छि मुदा हम गरीब अनपढ लोक छी दिहाडी मजूरी पर जिबय बला आ आगा-पाछा कियौ अछियो नै सम्हारै बला; माय एकर पहिनहि छोडि क चल गेल अछि। एना में अहीं कहू जे बेटी क बाप होमय के नाते हम एकर विवाह कय एकर घर बसा देबाक विषय में सोचै छि से कि गलत करै छि? मीरा कहलखिन अहां अपन सक भैर त निके सोचै छी मुदा एहि सं आगा बरहु। आशा कोनो साधारण बालिका नै अछि। ओकरा में समाज के आगां बढाबै के सामर्थ अखने सं देखबा में आबि रहल अछि । ताहि लेल अहां इ निजी समस्या से आगा सोचबा के प्रयत्न करू । एखन ओकरा पढाई के समर्थन लेल एकटा छात्रव̨त्ति भेलट अछि, आगा आर कैयेक टा भेटत जै के बल पर ओ आगा अपन पढाई आ जिनगी में स्वाबलंबी भ जेतिह । तहु सं जौं अहां के भरोस नै अछि त अहां के हम वचन दै छि जे आइ सं आशा क सभटा भार हम उठब लेल तैयार छी । एहि प्रकारे येन-केन दलील सं मीरा आशा क बाबू के राजी क नेने छलिह । आब आशा के नाम इंटर में लिखा गेल छल । दरिभंगा में रहि ओ सी एम साइंस कालेज सं इंटर क पढाई कर लागलीह आ संगहि मेडिकल प्रवेश परीक्षा क तैयारी सेहो । अपन खर्च निकाल लेल ओ ट्यूशन पढेनाई सेहो शुरू क देने छलि आ संगही जरूरत पड়ला पर मीरा क मार्गदर्शन आ सहयोग सेहो भेट जाई छलैन । एही प्रकारे मीरा क मार्गदर्शन, आशीर्वाद आ अपन मेहनत-लगन के फ़ल आशा क ई भेटलैन जे ओ इंटर के संग बीसीईसीई परीक्षा सेहो पास क गेल छलिह आ दरभंगा मेडिकल कालेज में हुनका एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश भेंट गेल छल । आब आशा नव पंख लगा क सफ़लता क नव ’आकाश’ में उड় लेल तैयार छलिह ।
दिन बितैत गेल आ क्रमश: आशा एमबीबीएस कय क डाक्टरी के प्राथमिक डिग्री प्राप्त क लेलीह संगहि पीजी चिकित्सा प्रवेश परीक्षा में निक रैंक आनि क ओ जीपमर में एमडी मेडीसीन के पाठ्यक्रम में सेहो प्रवेश पाबि गेलीह आ एहि प्रकारे पीजी केलीह आ आई नरायणा ह्रुदयालया बैंगलुरू में डीएनबी(कार्डियोलोजी) क टैनिंग के संग सिनियर रेसीडेंसी क रहल छैथ । समय के एहि कालक्रम में आशा क संपर्क मीरा सं धीरे धीरे कम होइत चल गेल छल । मुदा आशा अपन मूल्य आ संसकार के सम्हारने छलिह । सफ़लता क एहि आकाश पर चढला के बावजूद ओ अपन वजूद आ ओकरा बनब वाली अपन गुरूआई के नै बिसरल छलिह । स्वाईत ओ बातचित के क्रम में अक्सर आकाशजी से मीरा दीदी के चर्चा केने नै थाकै छलिह । आ अक्सर कहै छलि जे हमर विवाह में क्यों आबै कि नै आबै मीरा दीदी के त बजेबे करबै । आ आकाश मजाक में उत्तर दै छलखिन जे अहां चिंता जुनि करू अहांक मीरा दीदी के त हम अपने जहाज पर चढा क नेने चलि आयब नै त अहांक कोन ठेकान जे बियाहे करैसं मना क दी !
इ सब सोचैत सोचैत अचानक माईक पर विमानक अनांसमेंट सुनि क मीरा क भक खुजलैन आ ओ अपन समान उठा क चेकईन के ले विदा भ गेलीह।